तेनालीराम ने कहीं सुना था कि एक दुष्ट आदमी साधु का भेष बनाकर लोगों को अपने जाल में फंसा लेता है। उन्हें प्रसाद में धतूरा खिला देता है। यह काम वह उनके शत्रुओं के कहने पर धन के लालच में करता था। धतूरा खाक कर कोई तो मर जाता और कोई पागल हो जाता। (To be continued...)